रविवार, नवंबर 07, 2010

डिप्रेशन से बचने के लिए लें विटामिन्स


स्ट्रोक का शिकार हो चुके और नियमित रूप से विटामिंस लेने वाले लोगों के डिप्रेशन की चपेट में आने की कम आशंका होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की अगुवाई में एक इंटरनैशनल रिसर्च टीम ने अपनी स्टडी में यह दावा किया है।
टीम का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब शोधकर्ता स्ट्रोक के बाद पैदा होने वाले डिप्रेसिव सिंपटर्म्स के खतरे को स्पष्ट तौर पर कम करने के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचे हैं। टीम की अगुवाई करने वाली प्रफेसर स्वाल्डो एलमिडा ने कहा कि पिछले शोध से यह संकेत मिला था कि डिप्रेशन से बचने में कुछ विटामिंस की भूमिका हो सकती है। हालांकि हमने पाया कि स्ट्रोक के बाद नियमित रूप से फोलिक एसिड, विटामिन बी6 और बी12 लेने वालों के डिप्रेशन का शिकार होने की आशंका आधी रह गई थी। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का शिकार हर तीन में से एक शख्स डिप्रेशन का मरीज है। उस लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण खोज है।
साभार - एनबीटी

फूलगोभी दूर भगाए कैंसर


क्या आप कैंसर से दूर रहना चाहते हैं? वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिए रोजाना फूलगोभी खाइए। ब्रिटिश वैज्ञानिकों की एक टीम ने पता लगाया है कि फूलगोभी की एक खास किस्म कैंसर और दूसरी जानलेवा बीमारियों को दूर भगाती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऐंग्लिया के वैज्ञानिक 26 साल तक काम करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। वहां एक खास प्रजाति की फूलगोभी की खेती की जाती है। इटली से लाई गई कुछ फूलगोभियों से इनकी ब्रीडिंग शुरू की गई और इससे ही आखिरकार फूलगोभी की नई वराइटी विकसित की गई, जो दिल की बीमारी से भी लड़ सकती है।
साभार - एनबीटी

बुधवार, अक्टूबर 13, 2010

जवान बने रहने के नुस्खे


लंबे समय तक यंग बने रहने की चाह हर किसी की होती है। लोगों की इसी चाह को पूरा करने के लिए कंपनियां यंग बनाए रखने वाले कई तरह के इंजेक्शन व सर्जरी समय- समय पर प्रेजेंट करती रहती हैं। इसी कड़ी में हाल ही में एक ऐसी दवा ईजाद की गई है, जो आपको लंबे समय तक यंग बनाए रख सकती है।
दो साल बाद बढ़ती उम्र आपकी मुट्ठी में होगी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे? तो हम आपको बता दें कि साल 2012 तक बढ़ती उम्र को रोकने के लिए आपको किसी पैक या इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि आपको यंग बनाए रखने वाली दवाएं आपके आसपास केमिस्ट की दुकानों में ही मिलनी शुरू हो जाएंगी। होली ग्रैलेन नाम की इस पिल को बनाने वाले मास्को यूनिवर्सिटी के प्रफेसर ब्लादीमिर स्कुलाचेव का कहना है कि यह दवा बॉडी सेल्स पर ऑक्सिजन के डैमेजिंग इफेक्ट को रोककर रखती है। इससे बढ़ती उम्र के साथ आने वाली बीमारियां आपके पास नहीं फटकती, जिससे जाहिर है कि आप लंबे समय तक यंग बने रह सकते हैं।
नोबेल प्राइज विनर डॉ. गुंटर ब्लोबेल का मनाना है कि बढ़ती उम्र के लिए ऑक्सिडेटिव डैमेज बड़ा फैक्टर है और अभी तक ऐसा एंटी- ऑक्सीडेंट डिवेलप नहीं किया गया था। असल में हमारे शरीर में जो सेल्स हैं, उन्हें एनर्जी एक्सचेंज प्रोसेस के दौरान ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती है। लेकिन ऑक्सिजन शुद्ध होना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर यह ऐक्टिव या जहरीले फॉर्म में होगी, तो सेल्स को नष्ट भी कर सकती है। दरअसल, नेचरल एंटी- ऑक्सीडेंट्स इस प्रोसेस को स्लो तो कर डालते हैं, लेकिन इसका कोई लंबा प्रभाव नहीं रहता।
वहीं स्कुलाचेव के मुताबिक, 99 पर्सेंट मौकों पर ऑक्सिजन हार्मलेस वॉटर में बदल जाता है, लेकिन मात्र 1 पर्सेंट सुपर- ऑक्साइड में बदलता है और यही बाद में नुकसानदेह बन जाता है। इसीलिए किसी ऐसे एंटी- ऑक्सीडेंट को ढूंढने की जरूरत थी, जो इस प्रोसेस को रोक सके। पूरे 40 सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने खास एंटी- ऑक्सीडेंट्स क्रिएट किए और इन्हें 'स्कुलाचेव्स आयन्स' नाम दिया। ये हमारे सेल्स के भीतर के ऑक्सिजन के डैंजरस फॉर्म को न्यूट्रलाइज कर देते हैं। स्कुलाचेव का कहना है कि किसी तरह के साइड इफेक्ट से बचाने की कोशिश इस प्रोसेस का सबसे मुश्किल हिस्सा है। इसलिए वह क्लिनिकल टेस्टिंग को दो साल और देना चाहते हैं। इसमें हिस्सा लेने के लिए हजारों लोगों ने खुद को रजिस्टर कराया है।
खैर , किसी चमत्कारी मेडिसिन की तलाश अलग बात है और अगर ऐसी दवाई खोज भी ली गई , तो वह कितनों तक पहुंच पाएगी , यह सोचने की बात है ! फिर क्यों न हम कोई ऐसा उपाय तलाशें , जो हम सबके वश में हो। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे कारगर टिप्स , जो आपको लंबे समय तक यंग बनाए रख सकते हैं :
खुश रहें
एक स्टडी के बाद पता चला है कि अगर आप खुश रहते हैं तो किसी गंभीर बीमारी के हो जाने के बाद भी जल्दी ठीक हो सकते हैं। सीनियर फिजीशियन डॉ . वरुण मेहरा बताते हैं , ' आपका स्ट्रेस लेवल आपकी इम्यूनिटी को सीधा प्रभावित करता है। अपनी जिंदगी में उन चीजों की जगह बनाइए , जिनका साथ आप पसंद करते हैं। मेडिटेशन और एक्सरसाइज कीजिए , इससे तनाव कम होता है। हंसने का कोई भी मौका मत चूकिए , क्योंकि त्यौरियां चढ़ाने से स्किन में रिंकल्स पड़ जाते हैं।
फल - सब्जियां खाएं
रिसर्च से साबित हो गया है कि टॉक्सिंस और मेटाबॉलिज्म की वजह से हुआ ऑक्सीडेटिव डैमेज सेल्युलर लेवल पर एजिंग प्रोसेस को बढ़ावा देता है। लेकिन हाई एंटीऑक्सीडेंट्स फूड्स हमें इससे बचाते हैं। इसलिए खूब सारी सब्जियां और फल अपनी डाइट में शामिल करें। फलों से मिलनेवाले विटामिन सी से स्किन यंग बनी रहती है और आप डिहाइड्रेशन से भी बचे रहते हैं। याद रखिए कि यही काम फूड सप्लीमेंट्स नहीं कर सकते।
शुगर को ना - ना
अगर आपको शुगर है , तो उसे एक्सरसाइज और डाइट से कंट्रोल करके चलें। अगर शुगर का बैलेंस नहीं रह पाता है , तो इसका सीधा असर आपकी उम्र पर पड़ता है।
नींद हो पूरी
कितने घंटे सोया जाए , यह हर इंसान के लिए अलग हो सकता है। लेकिन 6 से 8 घंटे की नींद सबके लिए जरूरी है। लेकिन दिनभर खर्राटे भरना भी ठीक नहीं है। क्योंकि रिसर्च के बाद यह भी साबित हो गया कि ज्यादा सोने से उम्र घटती है।
सनस्क्रीन प्रोटेक्शन
बिना सनस्क्रीन और सनग्लासेज के खुली धूप में मत घूमिए। दरअसल , यूवी रेडिएशन आपकी स्किन के लिए बेहद नुकसानदेह होती हैं।
धुएं में न उड़ाएं
स्मोकिंग कम उम्र में आपको एजेड दिखाने लगता है। यही नहीं , यह उम्र को भी कम कर देता है। इसलिए प्राइमरी या सेकंडरी - किसी भी लेवल पर स्मोकिंग से दूरी बनाकर रखिए।
मेंटल एक्सरसाइज
आपको यंग बनाए रखने में मेंटल कंडिशन का रोल अहम होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप सारा दिन क्रॉसवर्ड और पजल्स में उलझें रहें। न्यूरोसाइंटिस्ट और कॉग्निटिव एजिंग स्पेशलिस्ट डॉ . एडम गैजली का कहना है कि 60 की उम्र के बाद भी अगर आप ट्रैवलिंग और नई लैंग्वेज सीखने को इंजॉय करते हैं , तो मेंटली फिट रहते हैं।
ऑलिव ऑयल
इसमें हेल्दी फैट्स होते हैं। बैड फैट्स से बचने और हेल्दी हार्ट के लिए इसे आज ही अपनी डाइट में शामिल करें।
टीवी से दुश्मनी
कोई न कोई शो सबको पसंद होता है। लेकिन अगर आप हफ्ते में कम से कम पांच घंटे टीवी देखते हैं और सोफे में ही चिपके रहते हैं , तो आप सोच सकते हैं कि आपके हेल्थ की क्या हालत होगी। हालत ठीक नहीं होगी , तो नैचरल आप भी फिट नहीं रह सकते।
राइट डाइट
साबुत अनाज खाइए। अंकुरित दालें हेल्थी रहने के लिए बेहतर ऑप्शन है। हेल्थ ठीक रहेगी , तो नैचरल आप लंबे समय तक यंग बने रह पाएंगे। हर रोज बादाम खाने की आदत डालिए। बादाम में विटामिन , मिनरल और एंटी - एजिंग फैट्स होते हैं और इसे खाने से भूख भी चली जाती है। ओवर ईटिंग की सिचुएशन न आने दें।
साभार - नभाटा

रविवार, अगस्त 29, 2010

चकोतरा खाएं...वजन घटाएं


चकोतरा यानी ग्रेप फ्रूट विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें नींबू और संतरे के सभी गुण मिलते हैं। यह वजन घटाने में मददगार होता है। इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसे लंच में सलाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसे खाने से आप खुद को ऊर्जावान महसूस करेंगे। यह डायबिटीज पर नियंत्रण रखने में मददगार साबित होता है। हाल ही में हुए शोध के मुताबिक चकोतरे में नारिंगगेनिन नामक एंटीआक्सीडेंट होता है। यह मधुमेह टाइप-दो के उपचार में इस्तेमाल हो रही दवाओं के निर्माण में काम में लाया जा रहा है।
इसके अन्य फायदों में शामिल हैं....
- यह पाचन में मददगार होता है।
- इसे खाने से त्वचा में चमक आती है।
- लिवर के लिए यह रामबाण है।
- यह ट्यूमर और कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करता है।
- चकोतरे का जूस वसारहित होता है। इस कारण वजन को नियंत्रित करने का कुदरती माध्यम है।

गुरुवार, अगस्त 12, 2010

आलस्य बुरी आदत नहीं बीमारी है.......


यदि आप सोचते हैं कि आलस्य केवल एक बुरी आदत है तो जरा फिर से विचार करें क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे बुरी आदत नहीं बल्कि एक बीमारी की संज्ञा देते हैं। इंपीरियल कॉलेज, लंदन और यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन की एक टीम का कहना है कि शारीरिक निष्क्रियता को बीमारी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए, क्योंकि निष्क्रियता और खराब स्वास्थ्य में मजबूत संबंध है।

इंपीरियल कॉलेज, लंदन के डॉ. रिचर्ड वीलर ने कहा, 'हम इस बात का प्रस्ताव रखते हैं कि शारीरिक निष्क्रियता को बीमारी के तौर पर मानना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोटापे को भी बीमारी की श्रेणी में रखा है और यह भी प्राय: व्यायाम नहीं करने का नतीजा होता है।' यह जानकारी जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित की गई है। ..इसलिए अगर आपको आलस्य ने परेशान कर रखा है तो संभल जाइए..क्योंकि कहीं आप अन्जाने में किसी बीमारी के मरीज तो नहीं बन रहे.....
साभार – एनबीटी

मंगलवार, अगस्त 10, 2010

लंबी उम्र देने वाले चमत्कारिक पौधे के मिलने का दावा !


अनादि काल से देवी-देवताओं एवं मुनियों को चिरायु बनाने और उन्हें बल प्रदान करने वाला पौधा रीवा के जंगलों में होने का दावा किया गया है। सैकड़ों वर्ष पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुके सोमवल्ली नामक इस दुर्लभ पौधे को लेकर वन विभाग का दावा है कि सोमवल्ली पौधा पूरी दुनिया में अब कहीं नहीं है।
मध्यप्रदेश में रीवा जिले के घने जंगल के बीच मिले इस पौधे को वन विभाग की नर्सरी में रोपित कर उस पर अनुसंधान किया जा रहा है। हजारों वर्ष पुराने इस विलुप्त पौधे के बारे में अब भले ही कहीं उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है।
प्राचीन ग्रंथों व वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। देवी देवता व मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने एवं बल सार्मथ्य एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे। हालांकि सोमवल्ली पौधे के साथ कई अन्य दुर्लभ पौधे हैं, जिनका रस मिलाकर गुणकारी औषधियां बनाई जाती हैं, लेकिन इन पौधों के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। रीवा के पूर्व मुख्य वन संरक्षक पी. सी. दुबे ने जिले के जंगल में इस पौधे को देखा और फिर उसके बारे में गहन अध्ययन किया। उन्होंने इस दौरान सैकड़ों वर्ष पुराने ग्रंथों और वेदों का भी सहारा लिया, तब इस पौधे की उपयोगिता सामने आई। दुबे ने बताया कि यह पौधा पृथ्वी से पूरी तरह विलुप्त हो चुका है। सामाजिक वानिकी रीवा की नर्सरी में लाए गए इस विलुप्त पौधे को वन विभाग द्वारा एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। सोमवल्ली के पौधे को सुरक्षित ढंग से रोपित कर उसका संरक्षण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस पौधे की खासियत है कि इसमें पत्ते नहीं होते। यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान है। हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को नर्सरी में बेहद सुरक्षित ढंग से रखा गया है। साथ ही, जिले के जिस जंगल में यह पौधा मिला था, उसकी भी सुरक्षा की जा रही है।
उन्होंने बताया कि सोमवल्ली पौधा सैकड़ों वर्ष पहले विलुप्त हो चुका था, लेकिन जिले के जंगल में इसका मिलना विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस पौधे को लेकर रिसर्च एवं अनुसंधान की तैयारी की जा रही है, ताकि इसके बारे में वह सभी जानकारी सामने आ सके जो अभी पता नहीं है।
साभार - एनबीटी

रविवार, अगस्त 08, 2010

फिटनेस का फंडा



बॉलीवुड फिटनेस ट्रेनर सत्यजीत चौरसिया ने ढेर सारे फिल्म स्टार्स को फिटनेस ट्रेनिंग दी है। आईए पेश करते हैं इन्हीं के बताए गए फिटनेस के वही दस टिप्स, जो वे तमाम सिलेब्रिटीज को देते आए हैं :


1. ब्रेकफस्ट कभी मिस न करें। सुबह उठने के बाद दो घंटे के अंदर नाश्ता जरूर कर लें। नाश्ता आप हैवी भी ले सकते हैं।
2. हर दो-तीन घंटे के बाद कुछ न कुछ खाएं। चाहे वह दो बिस्कुट हो, चार-पांच बादाम हो, एक केला हो या फिर कोई फ्रूट। ये सब भी छोटे मील में काउंट होते हैं। बस, ध्यान रखें कि ये छोटे मील फ्राइड या स्वीट न हों।
3. लंच समय पर करें। सबसे बड़ी बात यह है कि रोटी या चावल को मिक्स न करें। एक वक्त में या तो रोटी ही खाएं या फिर चावल।
4. अपनी डायट में से फ्राइड और मीठा निकाल देंगे, तो तीन महीने में चार से पांच किलो वजन बैठे बिठाए ही कम हो जाएगा, इसके लिए आपको एक्सरसाइज करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
5. अगर जिंदगी भर फिट रहना चाहते हैं, तो हफ्ते में कम से कम चार बार सुबह पंद्रह मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। अगर यह नहीं हो पाता है, तो आसपास ही कहीं पंद्रह मिनट का ब्रिस्क वॉक लें। ध्यान रखें कि वॉक के लिए जाते वक्त और वापस आते वक्त लिफ्ट का इस्तेमाल न करें।
6. मैदा न खाएं। बटर नान खाने की बजाय रोटी खाएं। मैदे से बना कोई भी आइटम अपनी डायट में शामिल न करें, क्योंकि इन्हें पचाने में मुश्किल होती है और ये हेल्दी भी नहीं होते।
7. खाने की शुरुआत एक बाउल सलाद से करें। उसके बाद जितनी भूख हो, उतना ही खाएं। खाने के आधे घंटे बाद एक गिलास छाछ जरूर पिएं।
8. रात का खाना बहुत हल्का होना चाहिए। रात को दो चपाती से ज्यादा न खाएं। हो सके तो 8 बजे से पहले ही अपना डिनर खत्म कर लें।
9. हो सकता है कि रोज जिम जाना-आना आपको समय की बर्बादी लगे, लेकिन ऐसा है नहीं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि आप जिम में जाकर ही एक्सरसाइज करें। चाहे योगा हो, डांस हो या फिर कोई भी एक्सरसाइज, ये सब आपको हफ्ते में कम से कम चार बार जरूर करनी चाहिए।
10. चार मिनट की यह एक्सरसाइज मैंने ईजाद की है और सभी को यह करने की सलाह भी देता हूं। इसके तहत रोज पांच सूर्य नमस्कार, दस पुश अप्स और दस बैठक करें। यह महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं। इसे करने में सिर्फ चार मिनट ही लगते हैं, साथ ही आप यह एक्सरसाइज दिन में किसी भी वक्त कर सकते हैं। तीन महीने लगातार इसे करने से फर्क आपकी आंखों के सामने होगा।
साभार - एनबीटी

गुरुवार, अगस्त 05, 2010

बरसात में जुल्फों का रखें ख्याल


बारिश में भीगना आप कितना ही एंजॉय करें, लेकिन कुछ परेशानियां यह सीजन ऐसी लेकर आता है, जिससे बच पाना बहुत मुश्किल है। ऐसी ही एक प्रॉब्लम है कि बालों की। दरअसल, इस सीजन में बाल रफ व ड्राई हो जाते हैं, जिससे से आसानी से सेट नहीं होते। बावजूद इसके, इस सीजन में डिफरेंट हेयर स्टाइल, स्प्रे और जेल को अवॉइड करना चाहिए। इसके अलावा, गीले बालों को टाइट नहीं बांधना चाहिए, वरना बाल टूटने लगते हैं और इनमें डैंड्रफ तक हो जाती है।
वैसे, इस मौसम में आपको अच्छा और शॉर्ट हेयर स्टाइल प्रिफर करना चाहिए, क्योंकि छोटे बाल आसानी से मैनेज हो जाते हैं। हेयर स्टाइल ऐसा होना चाहिए, जो आपके फेस पर सूट करे और आपको एक परफेक्ट लुक दे। अगर आपका रंग फेयर है, तो शॉर्ट ब्लोंड पाटीर् हेयर कट आपको गॉजिर्यस लुक देगा। गौरतलब है कि इस तरह का हेयर कट बोल्ड और वसेर्टाइल महिलाओं को एक कॉन्फिडेंट लुक देता है। ट्रिकी लेयर हेयर कट बारिश की वजह से रफ व ड्राई हो गए बालों को स्ट्रेट व अटैक्टिव लुक देता है, वहीं चिन शॉर्ट मोवक हेयर स्टाइल बालों की उलझन दूर करके इन्हें आकर्षक बनाएगा। वैसे, ये सभी हेयर स्टाइल आसानी से मैनेज होने वाले हैं और इस सीजन में आपको एक स्मार्ट लुक भी देंगे।
चिन शॉर्ट मोवक हेयर स्टाइल और लेयर कट, इस सीजन में बालों को अट्रैक्टिव लुक देने के साथ इसकी बहुत सारी परेशानियों को भी दूर करते हैं। इनके साथ आपको बालों में रेग्युलर प्रेसिंग करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। ध्यान रखें कि कुछ हॉट ट्रीटमेंट्स इस मौसम में बालों को पर्मानेंट डैमेज भी कर सकते है।
बारिश के मौसम एक बात और ध्यान रखने वाली है कि इस दौरान बालों को कम से कम धोना चाहिए। बालों को डैमेज होने से बचाने के लिए एक आप अच्छा कंडीशनर यूज करें। वैसे, बालों को सॉफ्ट व सिल्की बनाने के लिए सीरम भी लगाया जा सकता है। माइल्ड शैंपू और कंडिशनर का सही व रेग्युलर यूज आपके बालों की खोई नमी लौटा सकता है। चूंकि इस सीजन में बालों में डैंड्रफ के अलावा स्काल्प में इंफेक्शन भी हो सकता है, इसलिए बालों पर एक्स्ट्रा ध्यान देना जरूरी है। ऐसे में गीले बालों को तौलिए से रगड़कर न पोंछें और बारिश में भीगने पर अच्छे शैंपू से बालों को धोएं। हफ्ते में एक बार मेडिकेटेड शैंपू लगाना भी ठीक रहेगा।

मंगलवार, अगस्त 03, 2010

पेट्स आर बेस्ट फॉर हेल्थ


मन बहलाने के साथ-साथ पेट्स हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होते हैं। स्ट्रेस व डिप्रेशन से बाहर निकलाकर यह आपको कई दिक्कतों से बचाते हैं: पेट्स इंसानों के बेहतरीन दोस्त होते हैं। आपके हर पल और सुख-दुख में साथ निभाने वाला यह जानवर आपके जीवन में कई तरह पॉजिटिव रोल निभाता है। रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि घर में पेट्स रहने से माहौल खुशनुमा बना रहता है और नेगेटिविटी से इंसान दूर रहता है। यह न केवल स्ट्रेस को कम करता है, बल्कि कई बड़ी दिक्कतों में भी आपको सुकून देता है।
मूड को रखे ठीक
मूड को ठीक बनाने में पेट्स बहुत काम आते हैं। आप कितने भी खराब मूड में घर पहुंचें, अगर घर में कोई जानवर है, तो उसे देखते ही आपका मूड ठीक हो जाएगा। यही नहीं, यह आपकी खुशियों में भी इजाफा करता है। रिसर्च के मुताबिक, अगर आप स्ट्रेस में हैं और घर लौटकर पेट्स के साथ समय बिताते हैं, तो तकरीबन 15 मिनट में ही स्ट्रेस व डिप्रेशन बहुत हद तक कम हो जाता है। यही नहीं, एड्स व अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की लाइफ में भी पालतू जानवर पॉजिटिव रोल निभाता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, घर में पेट्स की मौजूदगी फिजिकल तौर पर भी कई तरह के पॉजिटिव बदलाव लाती है। कॉलेस्ट्रॉल और हॉर्मोंस लेवल को ठीक रखने रखने में भी पेट्स काम आते हैं। हेल्थ के अलावा, ये आपका सोशल सर्कल भी बढ़ाते हैं। दरअसल, जब आप अपने पालतू जानवर को लेकर बाहर निकलते हैं, तो खुद ब खुद दूसरे पेट्स के ओनर्स से अपने-अपने पेट्स और अन्य मुद्दों पर बातचीत करने लगते हैं, जो आपका सामाजिक दायरा बढ़ाता है।
ब्लड शुगर कंट्रोल
अगर आपने कुत्ता या बिल्ली पाली हुई है, तो आपको अपने ब्लड शुगर को चेक करवाने की जरूरत नहीं है। दरअसल, ब्लड शुगर को मैनेज करने में ये जानवर आपकी खूब मदद करते हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ने के बाद होने वाली टेंशन से अगर आप बचना चाहते हैं, तो अपने पेट्स के साथ कुछ पल बिताकर आप सुकून महसूस करेंगे। यही नहीं, यह धैर्य बनाए रखने में तो मदद करता ही है, आपको शॉर्ट टेंपर्ड होने से भी बचाता है।
एक्सरसाइज करने का बहाना
अगर आप एक्सरसाइज करने से बचते हैं, तो घर में कोई जानवर पालें। एक्सरसाइज को रुटीन में लाने के लिए पालतू जानवर काफी काम आते हैं। उसे घुमाने के लिए आपको दिनभर में दो बार तो बाहर निकलना ही पड़ता है, ऐसे में आपकी रोजाना अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है। यही नहीं, एक्सरसाइज के लिए मोटिवेट करने में भी ये बेहद फायदेमंद हैं। बता दें कि अगर आप रोजाना 30 मिनट के लिए अपने पालतू के साथ बाहर निकलते हैं, तो आप गठिया और दूसरी कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं। अगर आप अपने पालतू के साथ केवल 10 से 15 मिनट खेलने में बिताएं, तो भी आपको जबर्दस्त फायदा होता है। सुबह-सुबह आपको अपने पालतू को रोजमर्रा के रूटीन के लिए घुमाने के लिए ले जाना पड़ता है, तो इससे आपकी हड्डियां मजबूत बनेंगी। दरअसल, सुबह के समय की सूरज की किरणें आपको विटामिन डी देती हैं।
अकेलेपन से छुटकारा
घर में जानवर रहने से आपको अकेलेपन की कमी नहीं खलती। खासतौर पर अगर आप बैचलर हैं, तो घर में उसकी मौजूदगी आपको अकेलेपन से निजात दिलाएगी। दरअसल, पेट्स हमेशा मालिक से चिपककर लेटता है, जो आपको अपनेपन का अहसास दिलाता है। यही नहीं, इसका प्यार आपके लिए अनकंडिशनल होता है। आपको अच्छी तरह अंडरस्टैंड करने के साथ-साथ यह आपके मूड को भी समझता है।
एलर्जी से बचाव
माना जाता है कि घर में पेट्स एलर्जी व इंफेक्शन होने का कारण होते हैं। लेकिन रिसर्च से साबित हो चुका है कि घर में पेट्स के रहने से एलर्जी होने के चांस बेहद कम हो जाते हैं। यह आपका इम्यून सिस्टम भी फिट बनाए रखता है और आपके लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।
लाइफ गार्ड
ट्रेंड डॉग्स बीमार व्यक्ति को जल्दी रिकवर करने के साथ ही ब्लाइंड और हैंडीकैंप लोगों की मदद में भी काम आते हैं। जाहिर है, पेट्स आपकी लाइफ में अहम भूमिका निभाते हैं। बस अगर रोजाना इन्हें अपना कुछ समय दें, तो वे आपके अच्छे दोस्त बन सकते हैं।

साभार - एनबीटी

सोमवार, अगस्त 02, 2010

अगर आप फिट रहना चाहें तो.......


भागदौड़ से भरी जिंदगी में खुद को फिट रखना किसी चुनौती से कम नहीं। प्रोफेशनल लाइफ का अंदाज कुछ इस तरह बदल रहा है कि काम का कोई तय वक्त नहीं है। कोई नाइट शिफ्ट करता है, तो किसी के लिए देर रात तक घर लौटना आम बात है। ऑफिस का स्ट्रेस, कॉम्पिटीशन और रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े सवाल, ऐसे में खुद को फिट रखने की जरूरत बेहद बढ़ गई है। हालांकि यह ज्यादा मुश्किल नहीं....इसके लिए बस अगर आप रोज केवल 30 मिनट निकाल लें, तो आपकी दिक्कतें आसान हो जाएंगी। हालांकि सेहतमंद बने रहने के लिए इन दिनों कई तरीके मौजूद हैं, जिनमें जिम, एरोबिक्स, योग वगैरह काफी पॉपुलर हैं।
यही वजह है कि अब जिम के साथ स्पा, योग, डांस और एरोबिक्स वगैरह की काफी डिमांड है। स्पा में कई चीजें करना लोग पसंद करते हैं, लेकिन इन दिनों चिल्ड शॉवर और स्टीम लोगों के पसंदीदा सेशन बने हुए हैं। एरोबिक्स में अगर स्टेप का ध्यान रखकर चला जाए, तो यह कैलरीज घटाने के साथ बॉडी को एनर्जेटिक रखने में खासी मदद करती है।'
इसके अलावा, योग की तरफ भी हर उम्र के लोगों का रुझान खूब बढ़ा है, उसमें पंचकर्मा (कई योगों का मिश्रण) को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। जो लोग एक्सरसाइज को फन की तरह लेते हैं, उनके लिए बॉलिवुड गानों पर डांस करना अच्छा ऑप्शन है। हालांकि इसमें भी ट्रेनर की जरूरत होती है।
एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि फिट रहने के लिए जिम हर एज ग्रुप के लिए पॉपुलर है। जिम में कई तरह के फिटनेस इक्विपमेंट्स होते हैं और इनसे हर बॉडी पार्ट पर वर्कआउट किया जा सकता है। इलैक्ट्रिकल ट्रेडमिल में आप अपने स्टेमिना के हिसाब से स्पीड तय कर सकते हैं। साथ ही, इनमें इस तरह के कंट्रोल पैनल भी मिलने लगे हैं, जो आपको बर्न आउट कैलरी कांउट भी बताते रहते हैं।
ऐसे भी ट्रेडमिल मॉडल भी हैं, जिनका स्लोप आप बढ़ा-घटा सकते हैं। इस परें रोजाना 10 से 20 मिनट की वॉकिंग आपके लिए फायदेमंद रहेगी। साइकलिंग में भी मैनुअल व इलेक्ट्रिक दोनों ऑप्शंस हैं। इसके अलावा, स्टैंडिंग साइकलिंग, एबी रोलर्स, स्ट्रेचिंग मशीन जैसी चीजें भी आपके लिए फायदेमंद रहेंगी।
एरोबिक्स
इन दिनों वजन घटाने के लिए एरोबिक्स खासी पॉपुलर है। इस तकनीक से तुरंत कुछ ही दिनों में वजन घटाया जा सकता है। यह संगीत पर किया जाने वाला व्यायाम है , जिसे लगातार करने से एक्स्ट्रा फैट कम होता जाता है। दरअसल , यह बहुत स्पीड में किया जाता है , इसलिए इसमें कैलरीज भी बाकी एक्सरसाइज से ज्यादा बर्न होती हैं। एक मिनट में बॉडी के तमाम पार्ट्स मूव करने से इसमें से इसमें ज्यादा फायदा होता है।

अगर आप पहली बार इसे करने जा रहे हैं , तो सबसे पहले अपनी मांसपेशियों को कुछ दिन हल्की - फुल्की एक्सरसाइज करके एरोबिक्स के योग्य बना लें। कई लोग घर में ही इसे करना प्रिफर करते हैं , इसलिए एरोबिक्स का कसेट चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह आपकी क्षमता के अनुसार हो। अगर शुरुआत कर रहे हैं , तो फॉर द बिगिनर्स कहकर ही कसेट खरीदें।

लेकिन जब भी शुरू करें , डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इसके अलावा , स्लिमिंग सेंटर जाने वाले लोगों की तादाद भी खूब बढ़ी है। पंजाबी बाग के ' चेंज ' स्लिमिंग सेंटर की निरुपमा कहती हैं , ' यहां खाने से लेकर कैलरीज इंटेक और बर्न होने का पूरा चार्ट बनाया जाता है और फिर बॉडी की जरूरत के मुताबिक वेट लॉस प्रोग्राम तय किया जाता है। इससे कम समय में ही काफी फायदा दिखने लगता है। वैसे , इसमें बॉडी के पार्ट की जरूरत के मुताबिक भी प्रोग्राम तय किए जाते हैं। '

योग
दिन में अगर 20 मिनट योग के लिए निकाल लिए जाएं , तो हेल्दी रहना मुश्किल नहीं है। राजौरी गार्डन की नेहरू मार्केट स्थित इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ऑल्टरनेट साइंस के जगमोहन सचदेवा कहते हैं , ' पिछले पांच सालों में लोगों में योग के लिए रुझान जबर्दस्त तरीके से बढ़ा है। खासतौर पर पावर योगा हर उम्र के बीच खूब पसंद किया जा रहा है। लोग इसे बॉडी शेप , बॉडी स्ट्रेंथ और वेट लॉस के लिए कर रहे हैं। वैसे , योग के जरिए कई बीमारियों पर भी काबू पाया जा सकता है। '

दरअसल , योग की कुछ आसान क्रियाओं से न केवल दिनभर के लिए ताजगी मिलती है , बल्कि इसे नियमित रूप से करने पर शरीर भी स्वस्थ रहता है। बहुत से लोग यह समझते हैं कि कसरत और योगासन में कोई अंतर नहीं है , जबकि ऐसा नहीं है। कसरत करने पर शरीर को थकान महसूस होती है , जबकि योगासन से थकान नहीं होती ।
सौजन्य - एनबीटी

रविवार, अगस्त 01, 2010

सुरक्षित नहीं बैंकों के एटीएम


बैंकों के एटीएम भी साइबर अपराधियों की पहुंच से बाहर नहीं हैं। अमेरिका के एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने इसका प्रदर्शन करके दिखाया है कि कैसे हैकर्स द्वारा उपयोग किए जा रहे एक सॉफ्टवेयर से बिना पासवर्ड जाने ऑटोमेटिक टेलर मशीन (एटीएम) की पूरी नकदी निकाली जा सकती है।
सिएटल की आईओ एक्टिव एजेंसी के निदेशक बर्नाबी जैक ने प्रदर्शन के दौरान मंच पर दो एटीएम लगाए और दर्शकों के सामने मशीन का केवल एक बटन दबाया और मशीन से पैसा पानी की तरह बहने लगा, फर्श पर नोटों का ढेर लग गया।
सीबीएस न्यूज के मुताबिक न्यूजीलैंड के नागरिक जैक ने बताया कि हैकर टेलीफोन मॉड़ा के जरिए एटीएम से संपर्क स्थापित कर लेता है और मशीन बिना पासवर्ड के इसमें मौजूद पूरी नकदी बाहर निकाल देती है।
सैन जोस में रह रहे जैक ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि इससे लोगों का इन उपकरणों को पूरी तरह सुरक्षित मान लेने का नजरिया बदलेगा जो कि ऊपरी तौर पर अभेद्य नजर आते हैं।''
जैक ने कहा, ''मैंने हर तरह की एटीएम मशीन में ऐसी संभावनाएं पाई हैं जिनसे हमलावर इन मशानों से पूरी नकदी निकाल सकता है।''
सौजन्य – लाईव हिंदुस्तान

अस्थमा के मरीज न करें स्मोकिंग


अस्थमा के मरीज को यदि सही समय पर सही दवाइयां दी जा रही है तो डरने की कोई बात नहीं है। वह एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी जिंंदगी जी सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मरीज का इलाज एक योग्य डॉक्टर द्वारा किया जा रहा हो। कई बार मरीज या उसके परिवार के लोग खुद मेडिकल स्टोर से खरीदकर दवाइयां इस्तेमाल करे है। यह मरीज के लिए प्राणघात हो सकता है।
यह कहना है डॉ. राजपाल का जो दिल्ली में मयूर विहार फेज-1 में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार में भारी संख्या में ऐसे लोगों की संख्या भी अच्छी खासी थी जो खुद या फिर उनके परिवार का कोई सदस्य अस्थमा से पीडि़ता है। डॉ.राजपाल ने बताया कि अस्थमा से मतलब सांस फूलने से है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति सांस लेने के दौरान अंदर गई ऑक्सीजन को बाहर नहीं निकाल पाता है तो उसे सीने में जकड़न सी महसूस होने लगती है। जब तक ऑक्सीजन बाहर नहीं निकल जाता तब तक उसे चैन नहीं आता। इसकी मुख्य वजह फेफड़ों के अंदर मौजूद एयर रेज सिकुड़ना होता है। उन्होंने बताया कि अस्थमा कोई संक्रामक बीमारी नहीं है।
माता-पिता में से यदि कोई एक अस्थमा से पीडि़त है तो यह उनके बच्चों को होने की संभावना रहती है। जिन लोगों को अस्थमा है, उनके लिए स्मोकिंग जानलेवा साबित हो सकती है। अस्थमा पीडि़त व्यक्ति को धुएं, धूल, परफ्यूम और वार्निश आदि से भी दिक्कत होती है। उन्होंने कई बड़े नाम और खिलाड़ियों का उदाहरण देते हुए कहा कि अस्थमा से पीड़ित होने के बावजूद वे अपनी लाइफ अच्छी तरह से जी रहे है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि वे लगातार दवाइयां ले रहे हैं। जिन लोगों ने दवाइयां लेने में लापरवाही बरती उन्हें उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
डॉ. राजपाल ने कहा कि मशहूर फिल्म अभिनेता और निर्माता निर्देशक राजकपूर और महमूद भी अस्थमा से पीड़ित थे। इन दोनों ही हस्तियों ने इलाज में लापरवाही बरती। उनकी इसी लापरवाही के कारण अस्थमा उनकी मौत का कारण बना। उन्होंने कहा कि अस्थमा अटैक के समय इनहेलर का इस्तेमाल सही है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इनहेलर का इस्तेमाल करना भी नहीं आता।
सौजन्य-एनबीटी

शुक्रवार, जुलाई 30, 2010

वजन घटाने के लिए जॉगिंग कारगर नहीं......


लंबे समय से आपको यह पता है कि जॉगिंग करके आप फिट रहेंगे। इससे आपकी फिटनेस का लेवल बढ़िया रहेगा। यह मेटाबॉलिजम बढ़ाकर मोटापा घटाता है। खास बात यह है कि इसके लिए सिर्फ बढ़िया जूते होने चाहिए, जगह कोई भी चुनी जा सकती है। लेकिन ब्रिटेन के एक पर्सनल ट्रेनर और एक्सपर्ट ग्रेग ब्रुक्स का दावा है कि दौड़ना हर समय कारगर नहीं होता। इससे जॉइंट स्ट्रेन और यहां तक कि हार्ट अटैक भी मुमकिन है।
ग्रेग ब्रुक्स के कददानों में कई सिलेब्रिटी और ऊंचे पदों पर बैठे लोग हैं। ग्रेग का कहना है कि कई लोग वजन घटाने के लिए दौड़ना शुरू कर देते हैं। यह हमेशा कारगर नहीं होता। इसकी वजह है कि छोटी मांसपेशियां ताकतवर बने रहने के लिए एनर्जी का इस्तेमाल कम करती हैं। हार्ट भी एक मांसपेशी है। आप हार्ट से जबरन लंबे समय तक काम लेते रहेंगे तो यह क्षमता बढ़ाने के लिए कम एनर्जी का इस्तेमाल करना चाहेगा और सिकुड़ेगा। अगर आप चाहते हैं कि हार्ट साइज बढ़ाए तो हार्ट को उस लायक मजबूत बनाना होगा। उसकी क्षमता का इम्तहान लेना ठीक नहीं।
रनिंग में एक ही मूवमेंट बार-बार होने से इंजरी मुमकिन है। इस शिकायत से तो कई लोग वाकिफ होंगे। उनके घुटने और टखने जॉगिंग के पैमाने पर फेल हो गए होंगे। 'डेली मेल' के मुताबिक ग्रेग ने कहा है कि जब आप दौड़ते हैं तो बॉडी वेट का ढाई गुना वजन जॉइंट्स के जरिये ट्रांसमिट होता है। दौड़ने के दौरान यह फोर्स बार-बार लगता है। आखिर में कमजोर जॉइंट जवाब दे देता है। आम तौर पर पहले घुटने और टखने जवाब दे देते हैं। एक चोट के कायम होते हुए भी दौड़ते रहने पर दूसरा कमजोर जॉइंट निशाने पर आ जाता है।
ग्रेग कहते हैं कि अगर आप मसल को गंभीर नुकसान पहुंचाना चाहें और मेटाबॉलिक रेट घटाना चाहें तो दौड़ते रहें। लंबी दूरी की दौड़ से आपके अंदर जमा एनर्जी का भंडार भी खत्म होता जाता है। ऐसे में एनर्जी के लिए मसल के टिश्यू टूटने लगते हैं। छरहरा बनने की बात तो दूर है, दौड़ने से फैट गेन हो सकता है। शरीर में एनर्जी का सबसे पसंदीदा सोर्स फैट है। आप जितना दौड़ेंगे, शरीर अपने आपको अगली दौड़ के लिए उतना ही तैयार कर लेगा। बॉडी एक हैरतअंगेज मशीन है और वह हर हालात मंजूर कर लेती है। आप दौड़ में जितने बेहतर होते जाएंगे, उतनी कम एनर्जी का इस्तेमाल करेंगे। उतनी कम कैलरी बर्न होगी। ऐसे में आप पहले के मुकाबले अगर ज्यादा वजन के हो सकते हैं...इसलिए....जॉगिंग कीजिए पर सोच समझ कर...
साभार-एनबीटी

रविवार, जुलाई 25, 2010

थोड़ी - थोड़ी पिया करो


शराब का सेवन करने वाले बुजुर्गो के लिए शराब का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि रात का भोजन करने के बाद एक या दो पैग शराब का सेवन करने वाले बुजुर्गो में दिल की बीमारी, मधुमेह तथा मानसिक विकृति के खतरों को कम कर सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एक या दो पैग लेने वाले बुजुर्गो की मृत्यु दर में 30 फीसदी की कमी हो सकती है। रात का भोजन करने के बाद शराब पीने का आनंद लेना अच्छा साबित हो सकता है क्योंकि शराब से भोजन जल्दी पच सकता है। ऐसे में इसका सेवन करने वाले अपने आपको काफी हल्का महसूस करेंगे।
स्थानीय समाचार पत्र 'डेली मेल' के मुताबिक वेस्टर्न आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस प्रभाव को जानने के लिए 65 वर्ष से अधिक लगभग 25,000 लोगों पर यह प्रयोग किया।
अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फोरम ऑन एल्कोहल रिसर्च से संबद्ध हेलेना कानीबियर ने कहा, ''अधिकांश बुजुर्गो की मौत धमनियों के बंद हो जाने से होती है। धमनियों के बदं हो जाने से रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इस वजह से मानसिक विकृति, दिल की बीमारियां और कई तरह के दौरे पड़ने का खतरा बना रहता है।''
हेलेना कहती हैं, ''शराब रक्त को पतला बना देता है और धमनियों के सूजन को कम कर उन्हें खुला रखने में सहायता करता है। यह इंसुलिन बढ़ाने में मदद भी करता है जिससे मधुमेह होने का खतरा कम हो जाता है।''

शनिवार, जुलाई 24, 2010

लाखों की जान ले लेगा एस्बेस्टस


21 जुलाई को वर्ल्ड एस्बेस्टस डे था......विश्व एस्बेस्टस दिवस के मौक़े पर खोजी पत्रकारों की संस्था 'इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ़ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स' और बीबीसी ने संयुक्त रुप से की गई छानबीन में पाया है एस्बेस्टस से कैंसर होने की आशंका के बावजूद दुनिया भर में इसका बड़ी मात्रा में उत्पादन हो रहा है.हालांकि एस्बेस्टस कनाडा सहित दुनिया के क़रीब 50 देशों में प्रतिबंधित है लेकिन इन देशों की कंपनियाँ अभी भी चीन, भारत और मैक्सिको जैसे विकासशील देशों को एस्बेस्टस का निर्यात कर रहे हैं.इन कंपनियों का कहना है कि वे जो एस्बेस्टस निर्यात कर रहे हैं वह 'व्हाइट एस्बेस्टस' है और अपेक्षाकृत सुरक्षित है.
'व्हाइट एस्बेस्टस' का उपयोग निर्माण और अन्य उद्योगों में होता है.
छानबीन से यह भी पता चला है कि अभी भी इस कैंसरकारी तत्व के प्रचार के लिए लाखों डॉलर ख़र्च किए जाते हैं.
विवाद
इस बात को लेकर एक वैज्ञानिक बहस चल रही है कि क्या एस्बेस्टस का उपयोग अभी भी किया जा सकता है.
विकासशील देशों में एस्बेस्टस अभी भी अग्निरोधक छतों के निर्माण, पानी के पाइप और भवन निर्माण में कई जगह एक सस्ते और लोकप्रिय सामग्री के रुप में उपयोग में लाया जाता है.
इस खनिज बचाव करने वालों का कहना है कि इस समय सिर्फ़ व्हाइट एस्बेस्टस का उपयोग किया जाता है. उनका कहना है कि अगर व्हाइट एस्बेस्टस का सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाए और यह बहुत अधिक मात्रा में शरीर के भीतर ना जाए तो यह हानिकारक नहीं होता.
वैज्ञानिक शोधों का हवाला देकर वे कहते हैं कि व्हाइट एस्बेस्टस वैसा हानिकारक नहीं होता जैसे कि ब्लू एस्बेस्टस और ब्राउन एस्बेस्टस होते हैं.
सांस की बीमारियों और कैंसर के सबूत मिलने के बाद ब्लू एस्बेस्टस और ब्राउन एस्बेस्टस को दुनिया भर में प्रतिबंधित कर दिया गया है.
लेकिन बहुत से कार्यकर्ता और वैज्ञानिक विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देकर एस्बेस्टस का विरोध कर रहे हैं.
उनका कहना है व्हाइट एस्बेस्टस में भी कैंसरकारी तत्व हैं और इससे फेफड़े के कैंसर के अलावा कई तरह का कैंसर हो सकता है.
उल्लेखनीय है कि व्हाइट एस्बेस्टस पर यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन भारत, चीन और रूस में अभी भी इसका प्रयोग होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शीर्ष वैज्ञानिक का कहना है कि अब व्हाइट एस्बेस्टस के खनन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
बीबीसी हिंदी से साभार

डॉक्टरों का विकल्प बनेगा ‘रोबोट’


सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की मदद करने वाले रोबॉट तो अब आम हो चुके हैं लेकिन अब दिल थाम लीजिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रोबोट विकसित किया है जो खुद डॉक्टरों का रोल निभाएगा... मतलब ऑपरेशन थियेटर से डॉक्टर साहब हो जायेंगे बाहर ......अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के बायो-इंजीनियर्स ने एक स्टडी के जरिए यह साबित कर दिया कि अब रोबोट बिना इंसानी मदद के हमारे शरीर के भीतर मौजूद ट्यूमरों को खोज सकेंगे। यही नहीं वह इन ट्यूमरों से अलग-अलग नमूने यानी सैमेपल्स भी ले सकेंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस तकनीक को और विकसित किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब रोबोट कई और तरह की सर्जरी कर पाने में सफलहो जायेंगे..
रिसर्च टीम के सदस्य और ड्यूक के साइंटिस्ट काइचेंग लियांग का कहना है कि हमने साल के शुरू में दिखाया था कि ऑर्टिफिशल इंटेलिजेंस के सहारे एक रोबोट नकली ब्रेस्ट टिश्यू में मौजूद गांठ को खोज लेता है। ऐसा उसने बार-बार कर दिखाया। ताजा एक्सपेरिमेंट में हमने दिखाया है कि रोबोट इंसानी प्रोस्टेट टिश्यू के आठ अलग-अलग सैंपल ले सकता है।
यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दोनों प्रयोगों में टर्की पक्षी के टिश्यू का इस्तेमाल किया गया था। रिसर्च में एक रोबोटिक बांह और उससे जुड़े अल्ट्रासाउंड सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। अल्ट्रासाउंड सिस्टम को रोबोट की आंख की तरह उपयोग किया गया। इस रोबोट को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से नियंत्रित किया गया था। इस तरह के एक्सपेरिमेंट में 93 पर्सेंट की सफलता देखी गई।
इस प्रयोग की सबसे बड़ी बात थी कि इसमें पहले से मौजूद हार्डवेयर का इस्तेमाल किया गया। इस तरह इस रिसर्च को और विकसित करने के लिए नए सिरे से काम नहीं करना पड़ेगा।

मछलियां भी करती हैं बातें


शांत तरीके से पानी में तैरती मछलियों को देखकर लगता ही नहीं कि वे भी आपस में बातें करती होंगी। लेकिन ताजा रिसर्च कहती हैं कि कुछ मछलियाँ आवाजें करती हैं। कई बार वह सथियों को खतरे से आगाह करती हैं तो कई बार मौज मस्ती भी।
न्यूजीलैंड के एक शोधकर्ता के मुताबिक मछलियाँ चिड़ियों की तरह चहचहा और भिनभिना सकती हैं। कई प्रजातियाँ तो सूअर जैसी आवाज भी निकाल सकती हैं। सभी मछलियाँ सुन सकती हैं, लेकिन सभी मछलियाँ आवाजें नहीं कर सकतीं। जो मछलियाँ आवाजें कर सकती हैं, वे इस क्षमता को एक दूसरे को सावधान करने के लिए या दूसरी मछलियों को भगाने के लिए इस्तेमाल करती हैं। कई इस क्षमता को अपना साथी चुनते वक्त भी इस्तेमाल करती हैं।
शोधकर्ता शाहरिमान गजाली ने यह भी पाया कि ये जीव अपने पंखों को फड़फड़ा कर ऐसा करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कम आँके जाने वाली मछलियों में भी हमारी सोच से कहीं ज्यादा गुण हैं। यानी सागरों की दुनिया इतनी शांत नहीं है, जितनी लगती है।
लेकिन अगर कोई यह सोच रहा हो कि उसके एक्वेरियम में रखी गोल्डफिश भी कुछ कहेगी, तो यह जरा मुश्किल है। गजाली कहते हैं, 'गोल्डफिश की सुनने की क्षमता बहुत अच्छी है। लेकिन सुनने का मतलब यह नहीं है कि वह बोल भी सकती है। कुछ भी हो, वे किसी तरह की आवाज नहीं करती हैं।'गजाली ने अपने शोध के इन निष्कर्षों को न्यूजीलैंड की मैरिन साइंस सोसाइटी में पेश किया।

रविवार, जुलाई 18, 2010

पतला होना चाहते हैं क्या आप ?


पतला होने की तमन्ना रखने वाले मोटे लोगों के लिए यह अच्छी खबर है। खासकर वे जो वजन घटाने के लिए ज्यादा मेहनत करने के बजाय कोई क्विकफिक्स तरीका ढूंढते हैं। साइंटिस्टों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसी फोर-इन-वन गोली तैयार कर ली है, जो न सिर्फ वजन घटाएगी, बल्कि मोटे लोगों का ब्लड प्रेशर कंट्रोल करेगी, कॉलेस्ट्रॉल का लेवल सही रखेगी और डायबीटीज से भी उनकी रक्षा करेगी। बाजार में आने में इसे तीन साल लगेंगे। वैज्ञानिक इसे डायट ड्रग कह रहे हैं, जिसका नाम है लाइरग्लूटाइड। डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस दवाई में फील गुड फैक्टर है। इसका स्ट्रक्चर ठीक गट हॉरमोन की तरह है, जो भूख को कंट्रोल करता है। यह दवाई सीधे ब्रेन को यह मेसेज पहुंचाती है कि पेट भरा हुआ है। बेशक आपने अपनी भूख से 20 फीसदी खाना कम खाया हो, लेकिन आपको पेट पूरी तरह से भरा हुआ महसूस होने लगेगा।
वैज्ञानिकों ने इस दवा को 550 मोटे पुरुषों और महिलाओं पर टेस्ट किया। इसके तहत कुछ को रोजाना एक लाइराग्लूटाइड दी जा रही थी, जबकि कुछ को इसकी जैसी दिखने वाली बेअसर डमी दवा। नतीजा देखा गया कि लाइराग्लूटाइड लेने वालों ने छह महीने में करीब डेढ़ किलो वजन घटा लिया, जो डमी दवा खाने वालों से दोगुना था। जब उन्हें लगातार डेढ़ साल तक लाइराग्लूटाइड दी गई तो उनका वजन वहीं पर स्थिर हो गया, जबकि डमी दवा खाने वालों का वजन तेजी से बढ़ता गया। यह दवा इंसुलिन की तरह इंजेक्शन से ली जाती है। टेस्ट में पाया गया कि इसे रेगुलर तौर पर लेने के बाद बीपी कम करने की दवा अलग से ले रहे लोगों की वह दवा छूट गई। लाइरग्लूटाइड से उनके ब्लड प्रेशर का लेवल काफी गिर गया। ब्लड फैट और कॉलेस्ट्रॉल लेवल भी काफी कम होता देखा गया। नतीजों में यह भी पाया गया कि शरीर के पास शुगर से लड़ने की ताकत इस कदर बदल गई कि जिन्हें डायबीटीज का खतरा था, वह दूर हो गया। साइंटिस्टों के मुताबिक, कई लोग जो इंसुलिन लेते थे, उन्हें इस दवा के सेवन के बाद उसकी जरूरत नहीं पड़ी। ग्लासगो यूनिवसिर्टी के प्रोफेसर माइक लीन ने बताया कि इस दवा को लेने का मतलब यह कतई न लगाया जाए कि मोटे लोगों को डायबीटीज या हार्ट की बीमारी कभी होगी ही नहीं। लेकिन इतना जरूर है कि आपने घड़ी को उल्टा घुमा दिया है। फिलहाल यह पता नहीं लगाया गया है कि इस दवा को छोड़ने के बाद क्या लोगों का वजन बढ़ेगा या नहीं। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हम अपने खाने-पीने की आदतों को सुधार लें तो फिर इस दवा की जरूरत उन्हें नहीं पड़ेगी।

शनिवार, जुलाई 17, 2010

बढ़ रहा है मोटापे का रोग


करीब तीन करोड़ इंडियन मोटापे से परेशान हैं। इससे भी डराने वाला डेटा यह है कि स्कूल जाने वाले 20 पर्सेंट बच्चे ओवरवेट हैं। यह नतीजा सामने लाया है नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)से। सर्वे का कहना है कि मोटापा दुनिया भर में महामारी के रूप में बढ़ता जा रहा है। खासकर विकसित देशों में इससे लोग परेशान हैं। भारत में को यह बीमारी बड़ी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। सर्वे के नतीजों के मुताबिक मोटापे से टाइप टू डायबीटीज का खतरा तो बढ़ता ही है, साथ ही हाइपरटेंशन, ऑस्टोआर्थराइटिस जैसी बीमारियां भी सिर उठाने लगती हैं।
महिलाओं में मोटापा ज्यादा भयानक रूप ले लेताहै। इससे न सिर्फ उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है, बल्कि यूट्रस का कैंसर, बांझपन जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
मोटापे के साथ-साथ ऑर्थराटिस भी देश के लोगों को तेजी से अपनी जकड़ में ले रहा है। हालत इतनी गंभीर है कि 2013 में देश के करीब 65 फीसदी लोगों को ऑर्थराइटिस से पीडि़त होंगे। एक सर्वे के अनुसार फिलहाल देश में 65 साल से ज्यादा की उम्र के 70 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। 2013 तक यह सबसे बड़ी महामारी बन जाएगा।

हर फ्लू के लिए बन रही है एक वैक्सीन


तरह-तरह के फ्लू के अटैक से बचने के लिए अब हर बार आपको नई वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं क्योंकि अब ऐसी वैक्सीन बनाई जा रही है जो
हर तरह के फ्लू को रोकने में कारगर होगी। इस वैक्सीन को बनाने में जुटी वैज्ञानिकों की इंटरनैशनल टीम की कोशिश है कि इससे आम सर्दी जुकाम के फ्लू से लेकर बर्ड फ्लू जैसे नए फ्लू की भी रोकथाम हो सके। अच्छी बात यह है कि इस वैक्सीन के लिए बहुत वक्त इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में ही यह बाजार में मौजूद हो जाएगी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्होंने 'सबके लिए एक' इस वैक्सीन को डिजाइन करने की गुत्थी सुलझा ली है। इस वैक्सीन के शुरुआती ट्रायल शुरू भी किए जा चुके हैं और 2013 तक इसे इनसानों पर टेस्ट किया जा सकता है। इनसानी ट्रायल अभी भले ही शुरुआती चरण में हो पर वैज्ञानिकों ने चूहों और बंदरों पर सफल ट्रायल किए हैं। इनके इम्यून सिस्टम को इन्फ्लूएंजा के डीएनए से लैस किया गया था।
बंदरों में मौसमी फ्लू के रेगुलर वैक्सीन का बूस्टर भी डाला गया। इससे बंदरों की इम्यूनिटी में और इजाफा देखा गया। वैक्सीन का असर हर साल बढ़ता ही गया जब तक कि वैक्सीन लेने वाले में फ्लू को लेकर इम्यूनिटी नहीं आ गई। प्राइमिंग या बेस वैक्सीन 1999 के एक वायरस से आई थी पर इससे जो एंटीबॉडीज बनीं उन्होंने वायरस की कई किस्मों को बेकाम कर दिया।
यूएस नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज से जुड़े और इस स्टडी के लीडर डॉ. गैरी नेबल के मुताबिक, हम इन नतीजों से काफी प्रभावित हैं। प्राइम बूस्ट अप्रोच से एनफ्लूएंजा के टीकाकरण में नई आशा जगी है। यह हेपटाइटिस की तर्ज पर होगा जिसमें हम जीवन के शुरुआती हिस्से में वैक्सीन लेने के बाद वयस्क होने पर भी अडिशनल डोज लेकर इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। हमें उम्मीद है कि अगले 3 से 5 वर्षों में हम सभी फ्लू से सुरक्षा करने वाली वैक्सीन के असर को मापने के लिए ट्रायल शुरू कर देंगे।
वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि प्राइम बूस्ट वैक्सीन ने किस तरह चूहे को खतरनाक फ्लू वायरस से बचाया। बूस्ट मिलने के तीन हफ्ते बाद 20 चूहों को 1934 के फ्यू वायरस के बीच छोड़ा गया। इनमें से 80 पर्सेंट बच गए। जब चूहों को सिर्फ प्राइम या बूस्ट ही दिया गया या नकली वैक्सीन ही दी गई तो सभी चूहों की मौत हो गई। एक्सर्पट्स ने इस रिसर्च का स्वागत किया है। ब्रिटेन के लीडिंग फ्लू एक्सपर्ट और वायरॉलजिस्ट प्रोफेसर जॉन ऑक्सफर्ड के मुताबिक, यह एक नई और मजेदार कोशिश है। लगता है इन रिसर्चरों को कोई यूनिवर्सल या जनरल एंटी बॉडी का पता लग गया है जो कई तरह के वायरस पर हमला करती है। इस वैक्सीन का हम सभी को इंतजार है पर अगला कदम काफी अहम रहने वाला है।

गुरुवार, जुलाई 15, 2010

सौ साल जी सकेंगे आप

क्या आप जानना चाहते हैं कि आपकी उम्र 100 साल की होगी? हाथों की रेखाओं को छोड़िए और तैयार हो जाइए एक छोटे से जेनेटिक टेस्ट के लिए जो आपको इसका जवाब देगा।
बोस्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि उन्होंने दीर्घायु होने के जेनेटिक लक्षण खोज निकाले हैं, जिससे पुख्ता तौर पर यह पता लगाया जा सकता है कि कौन जीवन में 100 वसंत देखेगा।
साइंटिस्ट्स ने बेहद उम्रदराज लोगों में 154 समान डीएनए पाए जिसके बारे में उनका कहना था कि ये व्यक्ति के दीर्घायु होने के बारे में 77 पर्सेंट तक ठीक ठाक सूचना दे सकते हैं।
टेलिग्राफ खी खबर में बताया गया कि साइंटिस्ट्स को यह भी यकीन है कि ये सूचनाएं युवा लोगों में जीवन के लिए खतरनाक बीमारियों के इलाज में मदद करेंगी।
रिसर्च कर रही टीम की लीडर प्रफेसर पाओला सेबस्टीआनी ने बताया कि शुरुआती आंकड़ों से मालूम होता है कि लंबे जीवन की वजह जीन होते हैं। ये जीन शरीर में बीमारी से होने वाले नुकसान को कम करते हैं और उम्र बढ़ाने में मददगार होते हैं।
नभाटा से साभार

बुधवार, जुलाई 14, 2010

नींद पूरी नहीं पर बढ़ सकता है वजन


वर्ल्डकप फुटबॉल के मैच देखते हुए अगर आपने कई रातें जागकर गुजारी हैं या फिर अपने पसंदीदा टीवी कार्यक्रम देखते हुए आप देर रात तक जगाते रहते हैं तो सावधान हो जाइए, देर तक जागना आपको कितना महंगा पड़ सकता है और नींद की कमी से आंखों के नीचे काले घेरों के साथ ही आपकी छरहरी काया मोटी और बेडौल हो सकती है।
अमेरिका के केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी में हाल ही में 68,000 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन के नतीजों में पाया गया कि जो महिलाएं पांच घंटे से कम नींद लेती हैं उनका वजन सामान्य से कहीं ज्यादा होता है। सात घंटे की नींद लेने वाली महिलाओं की तुलना में पांच घंटे की नींद लेने वाली महिलाओं का वजन बहुत ज्यादा होता है।
डॉ. हिमांशु गर्ग बताते हैं कि नींद का असर उन हार्मोन पर पड़ता है जो भूख लगने और संतुष्टि से जुड़े होते हैं। ये हार्मोन क्रमश: लेप्टिन और ग्रेलिन हैं।
वह कहते हैं कि सामान्य अवस्था में वसा कोशिकाएं लेप्टिन हार्मोन का उत्पादन करती हैं जो रक्त वाहिनियों में जाता है। यह हार्मोन पर्याप्त वसा संग्रह का संकेत होता है और प्राकृतिक तरीके से भूख को दबाता है।
डॉ. गर्ग कहते हैं कि ग्रेलिन हार्मोन का उत्पादन बड़ी आंत की कोशिकाएं करती हैं। यह हार्मोन मस्तिष्क को यह संकेत देता है कि अब कुछ खाना चाहिए।
नींद पूरी न होने पर लेप्टिन का स्तर कम हो जाता है और भूख लगने लगती है। इसी स्थिति में भूख लगने के लिए जिम्मेदार ग्रेलिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है और मस्तिष्क को भूख लगने का संकेत मिल जाता है। व्यक्ति को कुछ खाने की इच्छा होने लगती है। इसका नतीजा मोटापे के रूप में सामने आता है।
नैचरोपैथ डॉ. पवन साहू कहते हैं हालात ऐसे हो गए हैं कि बड़े तो बड़े, बच्चों को भी कई बार देर रात तक जागना पड़ता है। उन पर पढ़ाई का दबाव होता है। लेकिन इसके गहरे दुष्परिणाम भी होते हैं। अगले दिन भूख का अहसास खत्म नहीं होता। लगातार खाने के कारण मोटापा बढ़ता है। फिर मोटापे से छुटकारा पाने के लिए डाइटिंग और कई उपाय किए जाते हैं लेकिन अपर्याप्त नींद की ओर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता। डॉ. साहू कहते हैं की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन कुछ ऐसे स्लीप डिस्ऑर्डर हैं जिनका सीधा संबंध मोटापे से होता है। इनमें से एक है पिकवीकियन सिन्ड्रोम जिससे अक्सर मोटे लोग प्रभावित होते हैं। डॉ. गर्ग कहते हैं लोग नहीं जानते कि नींद कम होने पर शरीर अधिक कैलोरी खत्म नहीं कर पाता। इसकी वजह से अतिरिक्त कैलोरी वसा बन कर जमने लगती है और वजन घटाने की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है।
(नभाटा से साभार)

सोमवार, जुलाई 12, 2010

घरेलू नुस्खों से दूर करें कई तरह के दर्द


जिस तरह का जीवन हम जी रहे हैं, उसमें सिरदर्द होना एक आम बात है। लेकिन यह दर्द हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाए तो हमारे लिए बहुत कष्टदायी हो जाता है। दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम पेन किलर घरेलू उपाय अपनाकर इसे दूर कर सकते हैं। इन घरेलू उपायों के कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होते।
1. अदरक: अदरक एक दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करती है। यदि सिरदर्द हो रहा हो तो सूखी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे अपने माथे पर लगाएं। इसे लगाने पर हल्की जलन जरूर होगी लेकीन यह सिरदर्द दूर करने में मददगार होती है।
2. सोडा: पेट में दर्द होने पर कप पानी में एक चुटकी खाने वाला सोडा डालकर पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है। सि्त्रयो के मासिक धर्म के समय पेट के नीचे होने वाले दर्द को दूर करने मे खाने वाला सोडा पानी में मिलाकर पीने से दर्द दूर होता है। एसिडिटी होने पर एक चुटकी सोडा, आधा चम्मच भुना और पिसा हुआ जीरा, 8 बूंदे नींबू का रस और स्वादानुसार नमक पानी में मिलाकर पीने से एसिडिटी में राहत मिलती है।
3. अजवायन: सिरदर्द होने पर एक चम्मच अजवायन को भूनकर साफ सूती कपडे में बांधकर नाक के पास लगाकर गहरी सांस लेने से सिरदर्द में राहत मिलती है। ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक आपका सिरदर्द ठीक नहीं हो जाता। पेट दर्द को दूर करने में भी अजवायन सहायक होती है। पेट दर्द होने पर आधा चम्मच अजवायन को पानी के साथ फांखने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
4. बर्फ : सिरदर्द में बर्फ की सिंकाई करना बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा स्पॉन्डिलाइटिस में भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है। गर्दन में दर्द होने पर भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है।
5. हल्दी: हल्दी कीटाणुनाशक होती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक और दर्द निवारक तत्व पाए गए हैं। ये तत्व चोट के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। घाव पर हल्दी का लेप लगाने से वह ठीक हो जाता है। चोट लगने पर दूध में हल्दी डालकर पीने से दर्द में राहत मिलती है। एक चम्मच हल्दी में आधा चम्मच काला गर्म पानी के साथ फांखने से पेट दर्द व गैस में राहत मिलती है।
6. तुलसी के पत्ते: तुलसी में बहुत सारे औषधीय तत्व पाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियों को पीसकर चंदन पाउडर में मिलाकर पेस्ट बना लें। दर्द होने पर प्रभावित जगह पर उस लेप को लगाने से दर्द में राहत मिलेगी। एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर हल्का गुनगुना करके खाने से गले की खराश और दर्द दूर हो जाता है। खांसी में भी तुलसी का रस काफी फायदेमंद होता है।
7. मेथी: एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेटदर्द में आराम मिलता है। मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। मेथी के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलता है।
8. हींग: हींग दर्द निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर पकाने और उसे बच्चो की नाभि के चारो ओर उसका लेप करने से दर्द में राहत मिलती है।
9. सेब: सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिरदर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। चिकित्सकों का मानना है कि सेब का नियमित सेवन करने से रोग नहीं घेरते।
10. करेला: करेले का रस पीने से पित्त में लाभ होता है। जोडों के दर्द में करेले का रस लगाने से काफी राहत मिलती है।

स्वाइन फ्लू के लिए होम्योपैथी दवा


स्वाइन फ्लू का स्वदेशी टीका जारी किए जाने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इस बीमारी के खिलाफ एहतियाती उपाय के रूप में एक होम्योपैथी दवा का सुझाव दिया है।
सेंट्रल कौंसिल फोर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) की आठ जुलाई 2010 को हुई बैठक में विशेषज्ञों के एक समूह ने ‘आर्सेनिकम एलबम’ को फ्लू जैसी बीमारी में एहतियात के तौर पर लेने की सिफारिश की है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। विशेषज्ञ समूह ने सिफारिश की है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण होने पर वयस्कों को तीन दिन नियमित रूप से खाली पेट आर्सेनियम एलबम 30 की चार तथा बच्चों को दो गोलियां खानी चाहिए। यदि क्षेत्र में फ्लू जैसी स्थितियां बनी रहती हैं तो इसी खुराक को एक माह के बाद इसी क्रम से लेना चाहिए। विशेषज्ञ समूह ने आगे सुझाव दिया है कि इस बीमारी से बचाव के लिए जनता को डाक्टरों द्वारा सुझाए गए साफ-सफाई के सामान्य नियमों का पालन भी साथ-साथ जरूर करना चाहिए।

अब डबल डेकर ट्रेन का हाईस्पीड ट्रायल


देश की पहली चेयरकार डबल डेकर ट्रेन ने पटरी पर उतरने के बाद पहली बाधा पार कर ली है। प्रोटोटाइप का सामान्य गति का परीक्षण सफल रहने के बाद अब ट्रेन के हाईस्पीड ट्राइल की तैयारी शुरू हो गई है। सामान्य रेलखंड पर ट्रेन की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जबकि हाईस्पीड खंड पर गति राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस की तरह 120 से 130 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) जल्द ही आगरा से बाजकोटा स्टेशन के बीच डबल डेकर की प्रोटोटाइप बोगी का हाईस्पीड ट्रायल करेगा। रेलवे बोर्ड के अधिकारी के मुताबिक, आरडीएसओ ने मुरादाबाद-बरेली रेलखंड पर मार्च से जून तक डबल डेकर के प्रोटोटाइप का परीक्षण किया था। इस दौरान झटके सहने के लिए एयर स्पि्रंग भरे एक्सल की जांच की गई। परीक्षण में केवल 47 टन भार वाला प्रोटोटाइप 110 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ने में उपयुक्त पाया गया। इस रेलखंड पर प्रोटोटाइप का परीक्षण सफल होने के बाद आरडीएसओ अब ट्रेन की गति और बढ़ाने की संभावनाएं तलाश रहा है। गति बढ़ने से कई रेलखंड पर यात्रियों का एक घंटा तक का समय बचाया जा सकेगा। इसकी कैशवर्दी डिजाइन वाली बोगियां अधिकतम गति से दुर्घटनाग्रस्त होने पर भी यात्रियों को सुरक्षित रखेंगी। इसे देखते हुए आरडीएसओ प्रोटोटाइप का हाईस्पीड ट्रायल कराने जा रहा है। लखनऊ से आए प्रोटोटाइप को जल्द ही आगरा भेजा जाएगा। फाइनल ट्रायल के बाद अगस्त में इसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी। यदि सब कुछ ठीक रहा तो रेलवे इस वर्ष अक्टूबर माह में पहली डबल डेकर दौड़ाने की झंडी दे देगा।

(जागरण से साभार)

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है पानी


पानी पीने के फायदों को जानते हुए भी अगर आपने अभी तक रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत नहीं डाली है तो अब जरा पानी को लेकर सीरियस हो जाइए। एक स्टडी में पता लगा है कि पानी हमें ज्यादा अलर्ट रखता है। यही नहीं हमारे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रिसर्चरों ने एक स्टडी में पाया कि पानी पीने से हमारे नर्वस सिस्टम की एक्टिविटी बढ़ जाती है जिससे हम ज्यादा अलर्ट रहते हैं। इसी कारण हमारा ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है और एनर्जी का खर्च भी।
इन रिसर्चरों ने सबसे पहले पानी और ब्लड प्रेशर का यह रिश्ता 10 साल पहले बेरोरफ्लेक्सेज खो चुके पेशंट्स में देखा था। बेरोरफ्लेक्सेज वह सिस्टम है जो ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रेंज में रखता है। लीड रिसर्चर प्रोफेसर डेविड रॉबर्टसन के मुताबिक, यह ऑब्जर्वेशन हमारे लिए बिल्कुल हैरानी की बात थी क्योंकि अब तक स्टूडेंट्स को यही पढ़ाया जाता था कि पानी का ब्लड प्रेशर पर कोई इफेक्ट नहीं होता।
हालांकि जिन युवाओं में बेरोरफ्लेक्सेज सलामत होता है उनमें पानी से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता। पर रिसर्चरों ने यह भी पाया कि पानी सिंपैथटिक नर्वस सिस्टम एक्टिविटी को बढ़ाता है और ब्लड वेसल्स को टाइट करता है।
(नभाटा से साभार)

रविवार, जुलाई 11, 2010

चाय के पौधे से स्किन कैंसर का होगा इलाज


चाय के पौधे के तेल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर दाग-धब्बों को हटाने और कीड़ों के काटने के इलाज में किया जाता है। अब वैज्ञानिकों का दावा है कि स्किन कैंसर के कुछ मामलों में यही तेल काफी सस्ता और असरदार इलाज साबित हो सकता है।
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पाया है कि चाय के पौधे का तेल चूहों में पाए जाने वाले नॉन मेलानोमा स्किन कैंसर को महज एक दिन में घटा देता है और तीन दिन में इसे ठीक कर देता है। नॉन मेलानोमा स्किन कैंसर एक सामान्य प्रकार का कैंसर है जो हर साल हजारों लोगों को प्रभावित करता है। इससे बचने का सबसे बढ़िया तरीका, सूरज की किरणों से बचाव है।
डेली मेल के अनुसार रिसर्चरों का मानना है कि न्यू साउथ वेल्स में पाए जाने वाले वाले मेलाल्यूका अल्टरनिफोलिया नामक चाय के पौधे से मिलने वाला तेल शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने का काम करता है। रिसर्च में शामिल डॉक्टर सारा गेय ने बताया कि हमारा लक्ष्य स्किन कैंसर के प्रसार को रोकना है। रिसर्चरों के मुताबिक स्किन कैंसर के लिए कीमोथेरपी का इस्तेमाल किया जाता है जो 16 हफ्तों तक चलने वाली काफी लंबी प्रक्रिया है। इसके प्रयोग से मिचली आने और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। जबकि चाय के पौधे के तेल से कुछ ही दिनों में स्किन से जुड़ी समस्या को दूर किया जा सकता है।
नभाटा से साभार

रविवार, जून 13, 2010

प्रवासी भारतीयों को जल्द मिल सकता है वोटिंग का अधिकार


लाखों प्रवासी भारतीयों (एनआरआई)को मतदान का अधिकार देने के लिए लंबित मांग जल्द पूरी हो सकती है। जीओएम ने इस मुद्दे पर तैयार मसौदे को मंजूरी दे दी है। अब केंद्रीय कैबिनेट इस पर विचार करेगी....
प्रवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा करीब 4 साल पहले तैयार मसौदा 'लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन)विधेयक' को रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की अध्यक्षता वाले जीओएम ने मंजूरी दे दी। इसे जल्द ही इसे कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की संभावना है।
प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने कहा कि रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाले जीओएम ने विधेयक को मंजूरी दे दी है। हम इसे कैबिनेट के सामने पेश करने वाले हैं और इसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि इस साल प्रवासी भारतीय दिवस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह विदेशों में रह रहे भारतीयों की वोट देने और भारत सरकार में भागीदारी की इच्छा को जानते हैं।
रवि ने कहा कि प्रवासी भारतीयों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी से दोतरफा संवाद को बढ़ावा मिलेगा और भारत के विकास में उनकी सक्रिय भागीदारी में सहयोग मिलेगा।

सरकार ने 2006 में राज्यसभा में विधेयक को पेश किया था, जिसमें लोक प्रतिनिधित्व विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया था, ताकि प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार दिया जा सके। इसके बाद विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजा गया और बाद में इसे जीओएम को भेजा गया था।

वर्तमान कानून के मुताबिक प्रवासी भारतीयों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाता है अगर वह एक बार में 6 महीने से ज्यादा के लिए देश से बाहर रहता है।