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अस्थमा के मरीज को यदि सही समय पर सही दवाइयां दी जा रही है तो डरने की कोई बात नहीं है। वह एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी जिंंदगी जी सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मरीज का इलाज एक योग्य डॉक्टर द्वारा किया जा रहा हो। कई बार मरीज या उसके परिवार के लोग खुद मेडिकल स्टोर से खरीदकर दवाइयां इस्तेमाल करे है। यह मरीज के लिए प्राणघात हो सकता है।
यह कहना है डॉ. राजपाल का जो दिल्ली में मयूर विहार फेज-1 में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार में भारी संख्या में ऐसे लोगों की संख्या भी अच्छी खासी थी जो खुद या फिर उनके परिवार का कोई सदस्य अस्थमा से पीडि़ता है। डॉ.राजपाल ने बताया कि अस्थमा से मतलब सांस फूलने से है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति सांस लेने के दौरान अंदर गई ऑक्सीजन को बाहर नहीं निकाल पाता है तो उसे सीने में जकड़न सी महसूस होने लगती है। जब तक ऑक्सीजन बाहर नहीं निकल जाता तब तक उसे चैन नहीं आता। इसकी मुख्य वजह फेफड़ों के अंदर मौजूद एयर रेज सिकुड़ना होता है। उन्होंने बताया कि अस्थमा कोई संक्रामक बीमारी नहीं है।
माता-पिता में से यदि कोई एक अस्थमा से पीडि़त है तो यह उनके बच्चों को होने की संभावना रहती है। जिन लोगों को अस्थमा है, उनके लिए स्मोकिंग जानलेवा साबित हो सकती है। अस्थमा पीडि़त व्यक्ति को धुएं, धूल, परफ्यूम और वार्निश आदि से भी दिक्कत होती है। उन्होंने कई बड़े नाम और खिलाड़ियों का उदाहरण देते हुए कहा कि अस्थमा से पीड़ित होने के बावजूद वे अपनी लाइफ अच्छी तरह से जी रहे है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि वे लगातार दवाइयां ले रहे हैं। जिन लोगों ने दवाइयां लेने में लापरवाही बरती उन्हें उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
डॉ. राजपाल ने कहा कि मशहूर फिल्म अभिनेता और निर्माता निर्देशक राजकपूर और महमूद भी अस्थमा से पीड़ित थे। इन दोनों ही हस्तियों ने इलाज में लापरवाही बरती। उनकी इसी लापरवाही के कारण अस्थमा उनकी मौत का कारण बना। उन्होंने कहा कि अस्थमा अटैक के समय इनहेलर का इस्तेमाल सही है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इनहेलर का इस्तेमाल करना भी नहीं आता।
सौजन्य-एनबीटी
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